फतेहाबाद। आर्य समाज फतेहाबाद द्वारा सुंदरनगर स्थित आर्य समाज भवन में आयोजित चार दिवसीय ऋग्वेद पारायण यज्ञ का समापन ऋषि बोधोत्सव के अवसर पर किया गया। कार्यक्रम में आचार्य पवनवीर, मुजफ्फरनगर, उत्तरप्रदेश ब्रह्मा रहे वहीं प्रताप शास्त्री व दीपक शास्त्री ने वैदिक मंत्रों का पाठ किया। यज्ञ के ब्रह्मा आचार्य पवनवीर ने कहा कि हमारे जीवन में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। इसी दिन स्वामी दयानंद सरस्वती को बोध हुआ था तथा वह अपने जीवन में सच्चे शिव को प्राप्त करने के लिए समर्पित हो गए। उन्होंने 1875 ई. में बम्बई में आर्य समाज की स्थापना करके 19वीं शताब्दी में समाज में फैली सामाजिक कुरीतियों, पाखंड व अंधविश्वास का विरोध करते हुए समाज में जागृति लाने का प्रयास किया। आचार्य पवनवीर ने कहा कि प्रथम स्वतंत्रता आंदेालन में अनेक क्रांतिकारियों के साथ मिलकर देश को आजाद करवाने में स्वामी दयानंद सरस्वती ने अपना महत्वपूर्ण सहयोग दिया। ऋषि दयानंद ने समाज को वेदों का वास्तविक ज्ञान करवाया।
आचार्य पवनवीर ने यज्ञ की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि यज्ञ पृथ्वी के हर प्राणी के लिए अत्यंत लाभकारी है। मानव को यज्ञ करने से सुख-समृद्धि एवं शांति की प्राप्ति होती है। इसलिए मनुष्य को जीवन को सफल बनाने के लिए यज्ञ अवश्य करना चाहिए। इस चार दिन के ऋग्वेद पारायणयज्ञ में शहर के प्रमुख समाजसेवी राजेन्द्र चौधरी काका सपत्नीक यज्ञमान बने वहीं आर्य समाज के पूर्व प्रधान बंसीलाल आर्य, वर्तमान प्रधान अरूण ग्रोवर, सचिव डॉ.राजवीर शास्त्री, सतीश चौधरी, सुरेश रेहलन व मा. रोशन लाल गोदारा ने भी सपत्नीक यज्ञ में यज्ञमान बनकर आहूतियां प्रदान की। सिरसा आर्य समाज से जगदीश सिंवर, बोदीवाली आर्य समाज, वेद मंदिर गुरूकुल मताना, आर्य समाज जांडवाला बागड़, आर्य समाज सरवरपुर से भी अनेक गणमान्य लोगों ने इस महायज्ञ में आहूति डालकर पुण्य कमाया। इस अवसर पर एकता रानी ढाणीमियां खां ने भी यज्ञमान बनकर आहूति डाली। सतीश चौधरी द्वारा लंगर की व्यवस्था की गई। अंत में आर्य समाज के प्रधान अरूण ग्रोवर ने आए हुए अतिथियों का धन्यवाद किया।
आर्य समाज द्वारा चार दिवसीय ऋग्वेद पारायण यज्ञ का हुआ समापन
स्वामी दयानंद सरस्वती ने सामाजिक कुरीतियों, पाखंड व अंधविश्वास के खिलाफ लोगों को जागृत किया : आचार्य पवनवीर

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