फतेहाबाद: सप्ताह के पहले ही कार्यदिवस पर जब अधिकांश लोग जरूरी सरकारी व निजी दस्तावेज भेजने के लिए डाकघर का रुख करते हैं, तब फतेहाबाद के मुख्य डाकघर में बिजली व्यवस्था में आई तकनीकी खराबी ने पूरी सेवाओं को ठप कर दिया। स्पीड पोस्ट, रजिस्ट्री, और अन्य आवश्यक सेवाएं प्रभावित हो गईं और उपभोक्ताओं को घंटों इंतजार के बाद निराश लौटना पड़ा। जिस समय डाक विभाग को तकनीकी रूप से सशक्त होना चाहिए था और प्राइवेट कोरियर कंपनियों से मुकाबले के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए था, उसी वक्त इस तरह की लापरवाही प्रशासनिक अकर्मण्यता और तकनीकी लाचारी का परिचायक बन गई है। तकनीकी खराबी आना कोई अनहोनी नहीं, लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था का पूरी तरह से न होना सवालों के घेरे में है। क्या डाक विभाग ने कभी ये सोचा कि ऐसी स्थिति में कौन जिम्मेदार होगा। सप्ताह के पहले कार्यदिवस पर, जब उपभोक्ताओं की संख्या सामान्य से कहीं अधिक होती है, तब ऐसी स्थिति डाक विभाग की गंभीर तैयारियों की कमी को दर्शाती है। स्पीड पोस्ट और रजिस्ट्री जैसी सेवाएं न केवल जनता की जरूरत हैं, बल्कि सरकार के लिए आय का एक स्रोत भी हैं। ऐसे में सोमवार को आई इस खराबी से होने वाले राजस्व नुकसान का जिम्मेदार कौन है। क्या केवल तकनीकी खराबी बोलकर डाकघर के अधिकारी अपने कर्तव्यों से बच सकते हैं। जहां सरकारी डाक सेवा ठप रही, वहीं निजी कोरियर कंपनियों ने मौके का पूरा फायदा उठाया। उपभोक्ता मजबूरन प्राइवेट कंपनियों का रुख करते नजर आए। क्या यह स्थिति सरकारी डाक विभाग की असफलता का उदाहरण नहीं। यह समय है जब फतेहाबाद का डाक विभाग आईना देखे और अपनी व्यवस्थाओं पर पुनर्विचार करे। यदि हर तकनीकी खराबी के बाद सेवाएं यूं ही ठप होती रहेंगी, तो आम जनता का भरोसा और डाकघर की प्रासंगिकता दोनों ही खत्म हो जाएंगे। मुख्यालय को चाहिए कि वह ऐसी घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए भविष्य के लिए स्थायी समाधान और जवाबदेही तय करे।