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आवारा पशुओं का समाधान हो

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Last updated: July 25, 2023 11:02 am
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2 years ago
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जिला फतेहाबाद के सभी शहरों में अचानक आवारा पशुओं की तादाद में वृद्धि हो गई है। शहर में आवारा पशु बढऩे से दुर्घटनाओं की तादाद भी बढ़ रही है। जिला फतेहाबाद कैटल फ्री जिला घोषित है लेकिन जमीन पर यह घोषणा मात्र घोषणा है। शहर की सभी सड़के आवारा पशुओं से भरी पड़ी है। शहर में धर्मभीरू लोग पुण्य कमाने के लिए सड़कों पर चारा डालते है, जिसकी वजह से आवारा पशुओं को झुंड़ एक जगह इक_े हो जाते है और उस रास्ते से गुजरने वाले वाहनों को नुकसान पहुंचाते है। सद्भावना अस्पताल के सामने ग्रीन बेल्ट पर किसी व्यक्ति ने गऊशाला के नाम से कब्जा कर रखा है। यहां तक तो हजम हो रहा था अब इस व्यक्ति ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर चारा डालने के लिए सीमेंट की खुरलियां बना डाली है। धर्म भीरू लोगों को चारा डालने में आसानी हो चली है। लेकिन उन्हें नहीं पता कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर उनकी वजह से आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है। इसी तरह सिवाच हस्पताल भट्टू रोड, नई सब्जी मंडी के सामने व फव्वारा चौक पर आवारा पशुओं का जमघट लगा रहता है।

एक बात और चिंताजनक है कि आवारा पशुओं के कानों में गऊशालाओं व नंदीशालाओं के टैग लगे हुए हैं। जिससे साफ है कि गऊशाला व नंदीशाला वाले पशुओं को खुले छोड़ रहे है। अब यह जांच का विषय है कि नंदीशाला संचालक ऐसा क्यों कर रहे है। या तो संचालकों के पास चारे की कमी है या स्पेस की कमी है। एक और रोचक बात देखने को आई है कि आजकल सड़कों पर घोडिय़ा भी आवारा घुम रही है। सूत्रों का कहना है कि यह विवाह में घुडचढ़ी वाली घोडिय़ा है। अगले 3 महीनों तक शादियों का सीजन नहीं है, इसलिए घोड़ी पालकों ने घोडिय़ा खुले में छोड़ रखी है।

यह घोडिय़ा शाम तक इधर उधर चर कर घर लौट जाती है। शहरों में आवारा कुतों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है। फतेहाबाद में बंदर जरूर घटे है लेकिन टोहाना में स्थिति जस की तस है। एडीसी जे के अभीर व एसडीएम बजजीत सिंह के होते आवारा पशु पकड़ो अभियान चला था। कुतों का भी बंधीकरण करवाया गया था। लेकिन उसके बाद इस विषय पर न तो नगर परिषद ने और ना ही जिला प्रशासन ने सुध ली। कृषि क्षेत्र में बाढ़ आने के चलते भी पशु शहरों में आ रहे है। दो महिला अधिकारी डीसी और एसपी के जज्बे ने बाढ़ से तो जिंदगियां बचा ली है लेकिन धीरे धीरे विकराल होती जा रही आवारा पशुओं की समस्या पर गौर नहीं हुआ तो लोग दुर्घटनाओं से अपंगता का शिकार हो सकते है और जान भी गंवा सकते है। हमारे संवेदनशील प्रशासन को जान की कीमत का अंदाजा है इसलिए इस विषय पर भी उनकी तरफ से कार्रवाई अपेक्षित है।

-संपादक

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